BSEB Class 10 Hindi Ch 11 नौबतखाने में इबादत | Naubatkhane Mein Ibadat 10 Hindi Solution Notes

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्‍दी के गद्य भाग के पाठ ग्‍यारह ‘नौबतखाने में इबादत (Naubatkhane Mein Ibadat 10 Hindi Solution Notes)’ के व्‍याख्‍या और सभी ऑब्‍जेक्टिव प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Naubatkhane Mein Ibadat

11. नौबतखाने में इबादत
लेखक का नाम- यतीन्द्र मिश्र

लेखक परिचय
जन्म- 12 अप्रैल 1977 ई0, (43 वर्ष), अयोध्या, उत्तर प्रदेश

इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से हिंदी भाषा में एम० ए० किया। इस समय ये अर्द्धवार्षिक पत्रिका ’सहित’ का संपादन कर रहे हैं। ये साहित्य और कलाओं के संवर्द्धन एवं अनुशीलन के लिए ’विमला देवी फाउंडेशन’ का संचालन 1999 ई0 से कर रहे हैं।
रचनाएँ- इनके तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं- यदा-कदा, अयोध्या तथा अन्य कविताएँ और ड्योढ़ी का आलाप । इन्होंने प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन और संगीत साधना पर एक पुस्तक ’गिरीजा’ लिखी ।

पाठ परिचय

प्रस्‍तुत पाठ ‘नौबतखाने में इबादत’ नामक पाठ भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के बारे में है, जो प्रसिद्ध शहनाई वादक थे। इस पाठ में उनके जीवन-रुचियाँ, अंतर्मन की बुनियाद, संगीत साधना और उनकी गहरी जीवनानुराग और संवेदना का वर्णन किया गया है।

Naubatkhane Mein Ibadat 10

पाठ का सारांश

प्रस्‍तुत पाठ ‘नौबतखाने में इबादत’ में शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के जीवन का अद्भुत वर्णन है। इसमें बताया गया है कि कैसे वह शहनाई वादन में अद्भुत कौशल बनाया और बादशाहत हासिल की। 1916 ई0 में उनका जन्म बिहार के डुमराँव में हुआ था। छोटे बचपन से ही वह संगीत में रूचि रखते थे और काशी में आकर उन्होंने अपना अभ्यास शुरू किया। उनके बड़े भाई शम्सुद्दीन के मामा अलीबख्श तथा सादिक हुसैन देश के प्रसिद्ध सहनाई वादक थे। उनके नौबतखाने में रियाज के दौरान उन्हें रसूलनबाई और बतूलनबाई के गाने सुनने को मिलते थे, जिससे उनकी संगीत प्रेम और आसक्ति बढ़ती गई।

शहनाई का नाम ‘शाहनेय’ है जो ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि के रूप में दिया गया है। अवधी पारंपरिक लोकगीतों और चैती में शहनाई का उल्लेख बार-बार मिलता है।

बिस्मिल्ला खान 80 वर्षों से सच्चे सुर की नेमत माँग रहे हैं और इसी की प्राप्ति के लिए पाँच वक़्त नमाज़ और लाखों सजदों में खुदा के नज़दीक गड़गड़ाते हैं। उन्हें मानना है कि जिस प्रकार हिरण अपनी नाभि की कस्तूरी की महक को जंगलों में खोजता फिरता है, उसी प्रकार कमरुद्दीन भी यहीं सोचते आये हैं कि सातों सुरों को बरतने की तमीज उन्हें सलीके से अभी तक क्यों नहीं आई।

बिस्मिल्ला खान और शहनाई के साथ जुड़े हुए मुस्लिम पर्व का नाम मुहर्रम है। इस पर्व के अवसर पर हज़रत इमाम हुसैन और उनके कुछ वंशजों के प्रति दस दिनों तक शोक मनाया जाता है। इस शोक के समय बिस्मिल्ला खान के खानदान का कोई भी व्यक्ति न तो शहनाई बजाता है और न ही किसी संगीत कार्यक्रम भाग लेता है।

खाँ साहब के लिए आठवीं तारीख विशेष महत्व रखती थी। उस दिन वे दालमंडी से फटमान के करीब आठ किलोमीटर तक पैदल रोते हुए खड़े होते और शहनाई बजाते थे।

बिस्मिल्ला खाँ अपनी पुरानी यादों को याद करके खिल उठते थे। बचपन में वे अपनी मामा, मौसी और नानी से दो-दो पैसे लेकर सुलोचना की नई फिल्म देखने जाते थे।

बिस्मिल्ला खाँ मुसलमान होने के बावजूद सभी धर्मों के प्रति समान भाव रखते थे। उन्हें काशी विश्वनाथ और बालाजी के प्रति अपार श्रद्धा थी। काशी के संकटमोचन मंदिर में हनुमान जयंती के अवसर पर वे शहनाई बजाते थे। काशी से बाहर रहते हुए वे कुछ समय काशी की दिशा में मुँह करके शहनाई बजाते थे।

उन्होंने कहा, “काशी छोड़कर हम कहाँ जाएँगे, यहाँ तो गंगा मइया है, बाबा विश्वनाथ हैं, बालाजी का मंदिर है।” काशी को संगीत और नृत्य का गढ़ माना जाता है। काशी में संगीत, भक्ति, धर्म, कला और लोकगीत का उद्भव समन्‍वय है। काशी में बहुत पुराना इतिहास है, जिसमें पंडित कंठे महाराज, विद्याधरी, बड़े रामदास जी और मौजद्दिन खाँ शामिल थे।

बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई दोनों एक ही चीज हैं। बिस्मिल्ला खाँ का नाम उनकी शहनाई से है।

एक शिष्या ने डरते-डरते बाबा से कहा, “आपको भारत रत्न मिल चुका है, अब आपको फटी लुंगी नहीं पहननी चाहिए।” तब बाबा ने कहा, “मुझे भारत रत्न शहनाई के लिए मिला है, न कि लुंगी के लिए। लुंगी के सिलने की दिक्कत हो जाती है, लेकिन शहनाई सदैव उच्चतम स्थान पर रहती है।”

निष्कर्ष यह है कि बिस्मिल्ला खाँ काशी के गौरव थे, उनके मरने के बाद काशी में संगीत, साहित्य और अदब की कई परंपराएं लुप्त हो गईं। वे दो कौमों के आपसी भाईचारे के उदाहरण थे। खाँ साहब शहनाई के बादशाह थे और इसी कारण उन्हें भारत रत्न, पद्मभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कई विश्वविद्यालयों से मान्यता मिली। उन्होंने नब्बे वर्ष की आयु में 21 अगस्‍त, 2006 को भगवान के प्‍यारे हो गए।

नौबतखाने में इबादत Subjective Questions 

प्रश्न 1. बिस्मिल्ला खाँ सजदे में किस चीज के लिए गिड़गिड़ाते थे? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पक्ष उद्घाटित होता है?              (Text Book)
उत्तर- खाँ साहब धार्मिक, संवेदनशील और निर्भीमान थे। जब वे इबादत में खुदा के सामने झुकते थे, तो सजदे में गिड़गिड़ाकर सच्चे सुर का वरदान माँगते थे। इससे संगीत-साधना हेतु समर्पित थे और बहुत विनम्र थे।

प्रश्न 2. सूषिर वाद्य किन्हें कहा जाता है? ’शहनाई’ शब्द की व्यत्पत्ति किस प्रकार हुई है? (Text Book)
उत्तर- सुषिर वाद्य उन वाद्यों में से हैं, जिनमें नाड़ी (नरकट या रीड) होती है और जिन्हें फूंककर बजाया जाता है। अरब देशों में इन वाद्यों को ‘नाय’ कहा जाता है और उनमें शहनाई को ‘शाहनेय’ अर्थात् ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि दी गई है, क्योंकि यह वाद्य मुरली, शृंगी जैसे अनेक वाद्यों से अधिक मोहक है।

Naubatkhane Mein Ibadat 10

प्रश्न 3, ’संगीतमय कचौड़ी’ का आप क्या अर्थ समझते हैं? (Text Book)
उत्तर- कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी को संगीत से भरपूर कहा जाता है। जब वह गरम घी में कचौड़ी डालती थी, तब छन्न से उठने वाली आवाज में कमरुद्दीन के संगीत के स्वर सुनाई देते थे। इसीलिए इसे “संगीतमय कचौड़ी” कहा जाता है।

प्रश्न 4. डुमराँव की महत्ता किस कारण से है? (पाठ्य पुस्तक, 2012A,2015A)
उत्तर- शहनाई के कारण डुमराँव का महत्त्व है। शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ ने डुमराँव में जन्म लिया था। शहनाई बजाने के लिए एक विशेष प्रकार की घास ‘नरकट’ से बनाई गई ‘रीड’ का प्रयोग किया जाता है और वह डुमराँव में सोन नदी के किनारे पायी जाती है।

प्रश्न 5. बिस्मिल्ला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे? इससे हमें क्या सीख मिलती है? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ कभी-कभी काशी से बाहर जाते थे लेकिन वे कभी भी काशी के विश्वनाथ को भूल नहीं पाते थे। उन्होंने जब भी काशी से बाहर जाते थे, तो थोड़ी देर तक उस दिशा में मुंह करके शहनाई बजाते रहते थे। इससे हमें धार्मिक दृष्टि से उदारता और समन्वय की सीख मिलती है कि हमें धर्म के प्रति किसी भी तरह का भेदभाव नहीं रखना चाहिए।

प्रश्न 4. डुमराँव की महत्ता किस कारण है? (पाठ्य पुस्तक, 2012A,2015A)
उत्तर- डुमराँव में सोन नदी के किनारे वह घास ‘नरकट’ से बनाई गई जिस ‘रीड’ का प्रयोग शहनाई बजाने के लिए किया जाता है। इसी कारण डुमराँव की महत्ता शहनाई से जुड़ी हुई है और शहनाई वादक बिस्मिल्ला खाँ भी डुमराँव में ही जन्मे थे।

प्रश्न 5. बिस्मिल्ला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे? इससे हमें क्या सीख मिलती है? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- जब भी बिस्मिल्ला खाँ काशी से बाहर जाते थे, वे काशी विश्वनाथ को नहीं भूलते थे। जब वे काशी से बाहर रहते थे, तो वे उस दिशा में मुँह करके थोड़ी देर शहनाई जरूर बजाते थे। इससे हमें धार्मिक दृष्टि से उदारता और समन्वय की सीख मिलती है। हमें धर्म के संबंध में किसी भेदभाव को नहीं रखना चाहिए।

प्रश्न 6. पठित पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का वर्णन करें। (Text Book)
उत्तर- उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ ने अपनी बचपन से ही नाना की शहनाई सुनना शुरू कर दिया था और शहनाई खोजने में भी लगे रहते थे। उन्हें अपने मामा का सान्निध्य भी शहनाई बजाने में सिखाने में मददगार साबित हुआ। 14 साल की उम्र में वे बालाजी मंदिर में रियाज करने लगे और आगे चलकर वे महान संगीतकार बन गए।

प्रश्न 8. पठित पाठ के आधार पर मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय दें। (Text Book)
उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ का मुहर्रम से अत्यधिक जुड़ाव था। मुहर्रम के महीने में उन्हें ना तो शहनाई बजानी थी और न ही किसी संगीत-कार्यक्रम में शामिल होना था। बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम की आठवीं तारीख को खड़े होकर ही शहनाई बजाते थे। वे दालमंडी में फातमान के लगभग आठ किलोमीटर की दूरी तक रोते हुए नौहा बजाते हुए पैदल चलते थे।

नौबतखाने में इबादत Subjective Questions 

प्रश्न 1. नौबतखाने में इबादत हैं ?
(क) ललित रचना  

(ख) साक्षात्‍कार
(ग) निबंध           
(घ) व्‍यक्ति चित्र

उत्तर- (घ) व्‍यक्ति चित्र

प्रश्न 2. सुषिर वाधो मे शाह की उपाधि प्राप्‍त है ?
(क) तबला   
(ख) बाँसुरी
(ग) ढोलक    
(घ) शहनाई

उत्तर- (घ) शहनाई

प्रश्न 3. बिस्‍मिल्‍लाह खाँ का संबंध है ?
(क) बाँसुरी से   
(ख) हारमोनियम से
(ग) तबला से    
(घ) शहनाई से

उत्तर- (घ) शहनाई से

प्रश्न 4. नौगतखाने में इबादत पाठ के केन्‍द्र में है ?
(क) बिरजू महाराज
(ख) बिस्‍मिल्‍लाह खाँ
(ग) जाकिर हुसैन     
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (ख) बिस्‍मिल्‍लाह खाँ

प्रश्न 5. बिस्‍मिल्‍लाह खाँ के पिता का क्‍या नाम था ?
(क) सलार हुसैन खाँ 

(ख) पैगम्‍बर बक्‍स खाँ
(ग) अ‍ली बक्‍स खाँ   
(घ) सदिक हुसैन

उत्तर- (ख) पैगम्‍बर बक्‍स खाँ

Naubatkhane Mein Ibadat 10

प्रश्न 6. बिस्मिल्‍ला खाँ के बचपन का नाम क्‍या था?
(क) अजहर    

(ख) अमीरूद्दीन
(ग) शम्‍सुद्दीन  
(घ) गयासुद्दीन

उत्तर- (ख) अमीरूद्दीन

प्रश्न 7. रसूलनबाई थी ?
(क) नर्तकी   

(ख) गायिका
(ग) कवयित्रि
(घ) लेखिका

उत्तर- (ख) गायिका

Naubatkhane Mein Ibadat 10

प्रश्न 8. बिसमिल्‍लाह खाँ के शहनाई के साथ किस मुस्लिम पर्व का नाम जुडा हुआ है ?
(क) ईद           

(ख) बकरीद
(ग) शबे बारात
(घ) मुहर्रम

उत्तर- (घ) मुहर्रम

प्रश्न 9. काशी किसकी पाठशाला है ?
(क) संस्‍कृति की 

(ख) नृत्‍य की
(ग) नर्त्तन की      
(घ)वादन की

उत्तर- (क) संस्‍कृति की

प्रश्न 10. बिस्‍मिल्‍लाह खाँ दर्शको से कौन सी दूआ ईश्‍वर से माँग रहे है ?
(क) सुख सुविधा की          

(ख) सम्‍मान की
(ग) सच्‍चे सुर की नेमत की
(घ) मुक्ति की

उत्तर- (ग) सच्‍चे सुर की नेमत की

प्रश्न 11. अमिरूद्दीन नाम किसका था ?
(क) मिट्ठन मियाँ का
(ख) बिस्‍मिल्‍लाह खाँ का
(ग) अलीबक्‍स का   
(घ) जमाल शेख का

उत्तर- (ख) बिस्‍मिल्‍लाह खाँ का

Naubatkhane Mein Ibadat 10

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