पत्र दो प्रकार के होते हैं—
1. औपचारिक पत्र– औपचारिक पत्र वे पत्र होते हैं जिन्हें लिखा जाता है जब आपका कोई पारिवारिक संबंध नहीं होता है। इसमें प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र जैसे अनेक प्रकार के पत्र शामिल होते हैं।
Patr Ke Prakar Or Uttar
2. अनौपचारिक पत्र– अनौपचारिक पत्र उन पत्रों को कहते हैं, जो आपके अपने रिश्तेदार या मित्रों को लिखे जाते हैं। जैसे- निमंत्रण पत्र, बधाई पत्र, शुभकामना पत्र।
प्रश्न1. अपने प्रधानाचार्य को आवेदन-पत्र लिखकर अपना मासिक शुल्क कम कराने की प्रार्थना कीजिए। अथवा, शुल्क क्षमा (फीस माफी) के लिए प्रधानाध्यापक के पास आवेदन-पत्र लिखें।
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उत्तर-
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
मैं नवीं कक्षा का एक निर्धन छात्र हूँ और मैं मासिक शुल्क कम करने के लिए सविनय निवेदन कर रहा हूँ। मेरे पिताजी के पास एक छोटी सी कपड़े की दुकान है जिससे हमारी परिवारिक आमदनी बहुत कम है और हमारे व्यवस्थित जीवन के लिए पर्याप्त नहीं है। मेरे पिता मेरी शिक्षा के खर्चों को नहीं उठा सकते हैं।
इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप मेरे मासिक शुल्क को माफ करें। मैं आपकी इस अनुग्रह के लिए हमेशा आभारी रहूँगा।
धन्यवाद, हमीद दसवीं कक्षा 15-6-2021 को तारीख
प्रश्न 1. ग्रीष्मावकाश में आपके पर्वतीय मित्र ने आपको आमंत्रित कर अनेक दर्शनीय स्थलों की सैर कराई। इसके लिए उसका आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद-पत्र लिखिए।
उत्तर- परीक्षा भवन
01.02.2022
प्रिय मित्र,
कैसे हो? आशा है, तुम बहुत अच्छे होगे। प्रिय आरीफ! जब से तुमने मुझे मनाली और रोहतांग दर्रे की सैर कराई है, मेरे मन में सदा उन बर्फीली पहाड़ियों की मूर्ति बनी रहती है। मुझे रह-रहकर चाँदी से भी सुंदर बर्फीली चोटियों की याद आती है। कभी वशिष्ठ आश्रम के पास से बहते हुए जल की याद आती है, हिडिंबा का मंदिर याद आता है। तुम्हारे संग देखे गए मनाली से रोहतांग तक के खूबसूरत रास्ते मुझे कभी भुलाए नहीं भूल सकते। वो मढ़ी, वो स्नोप्वाइंट! वो बर्फ की घाटी में स्लेज पर फिसलना। वो फोटोग्राफी! वो बर्फ के बीचोंबीच बैठकर चाय पीना। बर्फ के खेल खेलना। मेरे जीवन के सबसे सुंदर और सुहाने पल यही हैं। इसके हर पल में तुम हो! तुम्हारी यादें हैं। तुम्हारा प्रेम है और प्रेम-भरा निमंत्रण है।
प्रिय आरीफ! तुम्हारे निमंत्रण पर मैं इन खूबसूरत दर्शनीय स्थलों का आनंद उठा सका। इसके लिए मेरे पास धन्यवाद के योग्य शब्द नहीं हैं। बस इतना कहुँगा अभार धन्यवाद।
तुम्हरा मित्र
अरिफ असलम
Patr Ke Prakar Or Uttar
प्रश्न 2.अनुराधा के मामाजी ने उनके जन्मदिन पर एक पुस्तक उपहार में भेजी है। धन्यवाद व्यक्त करते हुए उन्हें पत्र लिखिए।
उत्तर-
परीक्षा भवन
क.ख.ग. केंद्र
16 मार्च, 2018
प्रिय मामाजी,
आशा है कि आप सभी स्वस्थ होंगे। मामीजी और सुरम्या भी बहुत खुश होंगी।
मामाजी, आपने मेरे जन्मदिन पर मुंशी प्रेमचंद की उपन्यास ‘निर्मला’ भेजा है। मैंने उसे पढ़ा है और बहुत पसंद किया है। पहले मैं कभी कहानियों की किताबें नहीं पढ़ती थीं, लेकिन उस उपन्यास ने मुझे कहानियों के प्रति रुचि जगाई। निर्मला ने मेरे मन को झकझोर दिया। मुझे उसकी मृत्यु बहुत दुख दे रही है। उस उपन्यास से मुझे जीती-जागती दुनिया से भी अधिक प्रभावशाली और मार्मिक लगा।
धन्यवाद आपके उपहार के लिए। आपने मुझे अच्छी किताबें पढ़ने का अवसर दिया। मुझे ऐसे ही अन्य उपन्यास पढ़ने की इच्छा है। आपने मेरे जन्मदिन को याद रखा, इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपकी प्रिय भानजी,
आपका प्रिय भांजी
अनुराधा
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