इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्दी के पद्य भाग के पाठ एक ‘पद (Pad Class 10 Solution Notes)’ के व्याख्या और सभी ऑब्जेक्टिव प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे।
पद्य –खण्ड
1. पद
राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा
जो नर दुख में दुख नहीं माने
लेखक परिचय
जन्म- 15 अप्रैल 1469 ई0, नानकाना साहिब, पंजाब, पाकिस्तान
मृत्यु- 22 सितंबर 1539 ई०, करतारपुर
पिता- कालूचंद खत्री, माँ- तृप्ता
इनके पिता ने इन्हें व्यवसाय में लगाने का काफी प्रयास किया, लेकिन इनका मन सांसारिक कार्य में नहीं रमा। इन्होंने हिन्दु-मुस्लिम दोनों को समान धार्मिक उपासना पर बल दिया तथा वर्णाश्रम व्यवस्था एवं कर्मकाण्ड के विरोध करके निर्गुण भक्ति का प्रचार किया।
‘सिख धर्म‘ के प्रवर्त्तक गुरुनानक ने मक्का-मदीना तक की यात्रा की। इन्होंनें 1539 ई० में वाहे गुरु कहते हुए अपना भौतिक शरीर का त्याग कर दिया।
पाठ परिचय
इस पाठ में सच्चे हृदय से राम नाम अर्थात् ईश्वर का जप करने की सलाह दी गई है तो बाह्य आडंबर, पूजा-पाठ और कर्म-काण्ड की कड़ी आलोचना की गई है। सुख-दुख में हमेशा एकसमान रहने की सलाह दी गई है।
डंड कमंडल सिखा सूत धोती तीरथ गबनु अति भ्रमनु करै।
राम नाम बिनु सांति न आवै जपि हरि-हरि नाम सु पारि परै।।
जटा मुकुट तन भसम लगाई वसन छोड़ि तन मगन भया।।
जेते जिअ जंत जल थल महिअल जत्र तत्र तू सरब जिआ।
गुरु परसादि राखिले जन कोउ हरिरस नामक झोलि पीया।
अर्थ- कुछ प्राणी तीर्थयात्रा के लिए डंडा, कमंडल, शिखा, जनेऊ और गेरुआ वस्त्र धारण करते हैं, लेकिन राम नाम का भजन न करने से जीवन में शांति नहीं मिलती। भगवान का नाम लेकर पैर पूजते हैं। कुछ लोग अपने आपको संत कहलाने के लिए अपने जटा को मुकुट बनाते हैं, शरीर में राख लगाते हैं और वस्त्रों को त्यागकर नग्न हो जाते हैं। संसार में अनेक जीवों में जन्म लेना होता है। लेखक कहते हैं कि नानक ने भगवान की कृपा को ध्यान में रखकर राम का नाम लिया, ताकि उन्हें असार संसार से मुक्ति मिल सके।
द्वितीय पद
जो नर दुख में दुख नहीं मानै।
सुख सनेह अरु भय नहिं जाके, कंचन माटी जानै।।
नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ मोह अभिमाना।
हरष सोक तें रहै नियारो, नाहि मान अपमाना।।
आसा मनसा सकल त्यागि कै जग तें रहै निरासा।
अर्थ- गुरु नानक कहते हैं कि जो दुख को दुख नहीं मानता है, जिसे सुख-सुविधा के प्रति कोई आसक्ति नहीं है और न ही किसी प्रकार का भय है, जो सोने को मिट्टी जैसा मानता है। जो किसी की निंदा से न घबड़ाता है और न ही प्रशंसा सुनकर गौरवान्वित होता है। जो लाभ, मोह एवं अभिमान से परे है। जो हर्ष और विषाद दोनों में एकसा रहता है, जिसके लिए मान-अपमान दोनों बराबर हैं। जो आशा-तृष्णा से मुक्त होकर सांसारिक विषय-वासनाओं से अनासक्त रहता है।
काम क्रोध जेहि परसे नाहिन तेहि घट ब्रह्म निवासा।।
गुरु कृपा जेहि नर पै कीन्हीं तिन्ह यह जुगति पिछानी।
नानक लीन भयो गोबिन्द सो ज्यों पानी संग पानी।।
अर्थ- जो मनुष्य काम-क्रोध को वश में कर लेता है, वह अपने हृदय में ब्रह्म का निवास पाता है। यानी जो मनुष्य राग-द्वेष, मान-अपमान, सुख-दुख, निंदा-स्तुति हर स्थिति में एक समान बना रखता है, वह अपने हृदय में ब्रह्म का निवास करता है। गुरु नानक का कहना है कि जिस मनुष्य पर ईश्वर की कृपा होती है, वह स्वतः सांसारिक विषय-वासनाओं से मुक्त हो जाता है। इसलिए नानक ईश्वर के चिंतन में लीन होकर उस प्रभु के साथ एकीभाव हो गए। अर्थात उनकी आत्मा परमात्मा से मिल गई, जैसे पानी का पानी से मिलना एकीभाव को प्राप्त हो जाता है।
Pad Class 10 Solution Notes
पद लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)____दो अंक स्तरीय
प्रश्न 1. कवि किसके बिना जगत् में यह जन्म व्यर्थ मानता है? (Text Book, 2016A)
उत्तर- इस वाक्य का सरलीकृत रूप होगा – बिना कवि राम नाम के जन्म व्यर्थ माना जाता है।
प्रश्न 2. वाणी कब विष के समान हो जाती है? (Text Book)
उत्तर- जहाँ राम नाम का उच्चारण नहीं होता, वहाँ वाणी विष के समान हो जाती है। अर्थात भगवत् नाम का उच्चारण नहीं होता है तो वाणी की शक्ति नष्ट हो जाती है।
प्रश्न 3. हरि रस से कवि का अभिप्राय क्या है? (Text Book)
उत्तर- कवि राम नाम की महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि भगवान के नाम से अन्य कोई धर्मसाधना नहीं है। हरि रस को भगवत् कीर्तन से प्राप्त परम आनंद कहा जाता है।
प्रश्न 4. नाम-कीर्तन के आगे कवि किन कर्मों की व्यर्थता सिद्ध करता है? (Text Book)
उत्तर- कवि कहते हैं कि पुस्तक-पाठ, व्याकरण के ज्ञान का बखान, दंड कमण्डल धारण करना, शिखा बढ़ाना, तीर्थ-भ्रमण, जटा बढ़ाना, तन में भस्म लगाना, वस्त्रहीन होकर नग्न-रूप में घूमना आदि कर्म नाम कीर्तन के आगे व्यर्थ हैं।
प्रश्न 5. प्रथम पद के आधार पर बताएँ कि कवि ने अपने युग में धर्मसाधना के कैसे-कैसे रूप देखे थे? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- कवि के अनुसार, प्रथम पद में शिखा बढ़ाना, ग्रंथों को पढ़ना, भस्म लगाकर साधु वेश धारण करना, तीर्थ जाना, दंड कमंडल धारण करना, वस्त्र त्याग कर नग्न रूप में घूमना, कवि के युग में धर्म साधना का माध्यम रहते थे।
प्रश्न 6. कवि की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है? अथवा, गुरुनानक की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है? (2016C)
उत्तर- जो प्राणी सांसारिक विषयों से रहित है, मान-अपमान से परे है और हर्ष-शोक से दूर है, उन प्राणियों में ही ब्रह्म का निवास होता है। जिन प्राणियों को काम, क्रोध, लोभ, मोह से रहित देखा जाता है, उनमें निश्चित रूप से ब्रह्म का निवास होता है।
प्रश्न 7. गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है? (Text Book)
उत्तर- कवि बताते हैं कि ब्रह्म से साक्षात्कार करने के लिए लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, निंदा आदि से दूर होना जरूरी है। सांसारिक विषयों से दूर रहना ब्रह्म के समीप जाने के लिए बहुत जरूरी है। गुरु की कृपा से इस ब्रह्म-प्राप्ति की युक्ति की पहचान होती है।
प्रश्न 8. ’राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा’ पद का मुख्य भाव क्या है? (2018A)
उत्तर- गुरुनानक ने इस पद में पूजा-पाठ, कर्मकांड और बाह्य वेश-भूषा की निरर्थकता को बताते हुए साफ कर दिया है। उन्होंने सच्चे हृदय से राम-नाम के स्मरण और कीर्तन का महत्त्व बताया है क्योंकि नाम कीर्तन से ही व्यक्ति को सच्ची शांति मिलती है और वह इस दुखमय जीवन से पार पा सकता है।
प्रश्न 9. आधुनिक जीवन में उपासना के प्रचलित रूपों को देखते हुए नानक के इन पदों की क्या प्रासंगिकता है ? अपने शब्दों में विचार करें। (Text Book)
उत्तर- नानक के पदों में बताया गया है कि राम-नाम का स्मरण आधुनिक जीवन में भी बहुत महत्वपूर्ण है। हरि-कीर्तन सरल मार्ग है जो कि धन या बाह्य भूषणों की आवश्यकता नहीं है। आज यदि भगवान के नाम की जप किया जाए तो जीवन में उल्लास, शांति, परमानंद और सुख का अनुभव सरलता से हो सकता है। इससे ईश्वरीय अनुभूति प्राप्त करना संभव होता है।
Pad Class 10 Solution Notes
पद Objective Questions
प्रश्न 1. किसके बिना प्राणी को मुक्ति नहीं मिलती ?
(क) कर्म कांड के बिना
(ख) मूर्ति पूजन के बिना
(ग) चारो धाम की यात्रा के बिना
(घ) गुरू ज्ञान के बिना
उत्तर- (घ) गुरू ज्ञान के बिना
प्रश्न 2. राम नाम बिनु बिरथे जगि जन्मा पद में किसकी अलोचना की गई है ?
(क) बाह्याडंबर की
(ख) राम नाम की
(ग) गुरू ज्ञान की
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (क) बाह्याडंबर की
प्रश्न 3. गुरू नानक किस भक्तिधारा के कवि है ?
(क) सगुण भक्तिधारा
(ख) निर्गुण भक्तिधारा
(ग) राम भक्तिधारा
(घ) कृष्ण भक्तिधारा
उत्तर- (क) सगुण भक्तिधारा
प्रश्न 4. राम नाम बिनु बिरथे जगि जन्मा यह पंक्ति —–की है ?
(क) गुरूनानक
(ख) रसखान
(ग) घनानंद
(घ) प्रेमघन
उत्तर- (ख) रसखान
प्रश्न 5. वाणी कब विष के समान हो जाती है ?
(क) राम नाम के बिना
(ख) तीर्थ यात्रा के बिना
(ग) ज्ञान के बिना
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर- (क) राम नाम के बिना
प्रश्न 6. गुरू नानक का जन्म कब हुआ ?
(क) 1467
(ख) 1468
(ग) 1469
(घ) 1470
उत्तर- (ग) 1469
प्रश्न 7. गुरू नानक की पत्नी का क्या नाम था ?
(क) सुलक्षणी
(ख) सुलोचना
(ग) सरला
(घ) सुलोचनी
उत्तर- (क) सुलक्षणी
प्रश्न 8. गुरू नानक पंजाबी के इलावे और किस भाषा के कविताएँ लिखें ?
(क) उडिया
(ख) हिन्दी
(ग) बंगाली
(घ) मराठी
उत्तर- (ख) हिन्दी
प्रश्न 9. आसादीवार किस कवि के रचना है ?
(क) रसखान
(ख) कुँवर नारायण
(ग) रामधारी सिंह दिनकर
(घ) गुरू नानक
उत्तर- (घ) गुरू नानक
प्रश्न 10. गुरू नानक ने किस धर्म का प्रवत्तन किया ?
(क) सिख धर्म का
(ख) हिन्दू धर्म का
(ग) ईसाई धर्म का
(घ) हिन्दू धर्म का
उत्तर- (क) सिख धर्म का
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