इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 9 संस्कृत के पाठ 11 ‘व्याघ्रपथिककथा (Vyaghra Pathik Katha Class 10th Solution Notes)’ के Book solution को पढ़ेंगे।
11. व्याघ्रपथिककथा (बाघ और पथिक की कहानी)
पाठ परिचय
इस कथा में लोभाविष्ट व्यक्ति की दुर्दशा का वर्णन है जो हितोपदेश नामक नीतिकथा के मित्रलाभ नामक भाग से संकलित है। आज के समाज में छल-छद्म का वातावरण है जिसमें लोभ के चलते लोगों का सम्मान और जीवन बचाने की बजाय वंचित हो जाते हैं। इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि हमें वंचकों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।
हितोपदेश के अन्तर्गत बच्चों के मनोरंजन और नीति-शिक्षा के लिए कई पशु-पक्षी से सम्बंधित कहानियां सुनाई जाती हैं। इस कहानी में लोभ के दुष्परिणामों का उल्लेख किया गया है। इसी तरह के कहानियों से हमें मानवों की शिक्षा हेतु महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।
Vyaghra Pathik Katha Class 10th Sanskrit Chapter 11 व्याघ्रपथिककथा (बाघ और पथिक की कहानी)
कुछ लोग बाद में अपने लोभ की वजह से यह सोचते हैं कि यह उन्हें भाग्य से मिला है। लेकिन इस संदेह की स्थिति में कार्य नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि-
अनिष्टादिष्टलाभेऽपि न गतिर्जायते शुभा।
यत्रास्ते विषसंसर्गोऽमृतं तदपि मृत्यवे।।
अर्थ- जहाँ अमंगल की आशंका होती है, वहाँ व्यक्ति को जाने से पहले सावधान रहना चाहिए। लाभ वहीं होता है जहाँ सुखद परिवेश होता है। क्योंकि विषयों से अधिक भी पीने से मृत्यु हो सकती है।
हालांकि सभी जगह धन कमाने की प्रवृत्ति होती है, लेकिन उसमें संदेह होता है। मैं इसे विस्तार से बताता हूँ। प्रकाश बोलता है- ‘तुम्हारा कंगन कहाँ है?’
बाघ अपना हाथ फैलाकर दिखाता है।
पथिक पूछता है- ‘तुम हिंसक होने के कारण कैसे उस पर विश्वास कर सकते हो?’ पथ प्रवक्ता उत्तर देता है- ‘अभी तुम सुनो, हे यात्री! मैं पहले अपराधी था, जब मैं युवावस्था में था।’ फिर बाघ कहता है- ‘हे यात्री! मुझे अनेक गायों और लोगों के मारने से मेरे पुत्र और पत्नी की मृत्यु हो गई थी और मैं वंशहीन हो गया था। फिर किसी धार्मिक व्यक्ति ने मुझे आदेश दिया कि दान और धर्म जैसी क्रियाएं करो।’
इसके बाद मुझे किसी धर्मात्मा ने यह उपदेश दिया कि मैं दान और धर्म आदि करूं। उनके उपदेश के अनुसार मैं अब एक स्नानशील और दानी हूँ और बुढ़ा और दंतहीन हूँ, फिर मैं विश्वासयोग्य कैसे नहीं हूँ? मैंने धर्मशास्त्र भी पढ़ा है। सुनो-
दरिन्द्रान्भर कौन्तेय ! मा प्रयच्छेश्वरे धनम्।
व्याधितस्यौषधं पथ्यं, नीरुजस्य किमौषधेः।।
अर्थ- हे कुन्तीपुत्र! गरीबों को धन दो, धनवानों को नहीं। रोगी को दवा की जरूरत होती है। स्वस्थ व्यक्ति को दवा की जरूरत नहीं होती।अन्य बात यह है कि-
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्विकं विदुः ।।
अर्थ- दान देना हमेशा चाहिए, लेकिन दान उसी को देना चाहिए जिससे कोई उपकार नहीं कराना हो, उचित स्थान, उपयुक्त समय और उपयुक्त व्यक्ति को दिया हुआ दान सही दान होता है।
उसके बाद “तदत्र सरसि स्नात्वा सुवर्णकंकणं गृहाण।” यह अर्थ होता है कि तुम यहाँ तालाब में स्नान करके सोने का कंगन लो।
फिर, “ततो यावदसौ तद्वचः प्रतीतो लोभात्सरः स्नातुं प्रविशति। तावन्महापंके निमग्नः पलायितुमक्षमः।” इस वाक्य का अर्थ है कि वह लोभ से तालाब में स्नान करने के लिए ज्योंही प्रवेश किया, उसे अत्यंत गहरे कीचड़ में डूब जाने का खतरा हुआ और भागने में असमर्थ हो गया।
अंत में, “पंके पतितं दृष्ट्वा व्याघ्रोऽवदत् – ‘अहह, महापंके पतिताऽसि। अतस्त्वामहमुत्थापयामि।‘” इस वाक्य में व्याघ्र ने पंके में डूबे व्यक्ति को देखा और उसे बचाने के लिए उसे उठाने का वचन दिया।
उसे किचड़ में फंसे देखकर बाघ ने कहा – अरे रे, तुम गहरे किचड़ में फंस गए हो। इसलिए मैं तुम्हें निकाल दूँगा। ऐसा कहकर बाघ धीरे-धीरे पास आता गया और उस पथिक को पकड़ लिया। उस पथिक ने सोचा – जिस व्यक्ति की इन्द्रियाँ और मन अपने वश में नहीं होते, उसकी सारी क्रियाएँ हाथी के स्नान के समान होती हैं। जैसे बंधक स्त्री का पालन पोषण बेकार होता है, उसी तरह क्रिया के बिना ज्ञान का भार स्वरूप होता है। इस प्रकार सोचते हुए वह पथिक बाघ द्वारा पकड़ा गया और खाया गया। इसलिए कहा जाता है-
कंकणस्य तु लोभेन मग्नः पंके सुदुस्तरे।
वृद्धव्याघ्रेण संप्राप्तः पथिकः स मृतो यथा।।
अर्थ- वैसे ही जैसे कंगन की लोभनीय दिखावट में पथिक गहरे किचड़ में फँस गया और बूढ़े बाघ ने उसे पकड़कर मार डाला।
लघु-उत्तरीय प्रश्नोकत्तर (20-30 शब्दों में) ____दो अंक स्तरीय
प्रश्न 1. ‘व्याघ्रपथिककथा’ के आधार पर बतायें कि दान किसको देना चाहिए ? (2018A)
उत्तर- दान देने से पहले स्थान, समय और उचित व्यक्ति का चयन करके, जिससे कोई उपकार नहीं मिलता हो, उसे दान करना चाहिए। दान गरीबों को देना चाहिए, जो उससे उपयोग उठा सकते हों।
प्रश्न 2. सोने के कंगन को देखकर पथिक ने क्या सोचा? (2020AІІ)
उत्तर- पथिक ने सोने के कंगन को देखते हुए सोचा कि इसे पाने का यह अवसर भाग्य से ही मिला होगा, लेकिन वह काम जो खतरे से भरा हो, उसे नहीं करना चाहिए। फिर उसे लोभ ने वश में कर लिया और उसने सोचा कि धन कमाने के काम में खतरा होता ही है। इस तरह उसने लोभ के जाल में फँसकर बाघ की बातों में आ गया।
प्रश्न 3. धन और दवा किसे देना उचित है ? (2020AІ)
उत्तर- व्याघ्रपथिक कथा के माध्यम से स्पष्ट किया गया है कि जो व्यक्ति निर्धन हो, उसे धन देना उचित है और जो व्यक्ति रोगी हो, उसे दवा देना उचित है। हालांकि, धनवान को और निरोग को धन देना उचित नहीं है।
प्रश्न 4. ‘व्याघ्रपथिककथा’ कहाँ से लिया गया है? इसके लेखक कौन हैं तथा इससे क्या शिक्षा मिलती है? (2017A)
उत्तर- ‘व्याघ्रपथिककथा’ मित्रलाभ खण्ड से हितोपदेश ग्रंथ का एक हिस्सा है। इसके लेखक ‘नारायण पंडित’ जी हैं। इस कथा के जरिए नारायण पंडित हमें यह सिखाते हैं कि दुष्ट लोगों की बातों पर लोभ में आकर विश्वास नहीं करना चाहिए। सोच-समझकर ही काम करना चाहिए। इस कथा का उद्देश्य मनोरंजन के साथ ही व्यावहारिक ज्ञान देना है।
प्रश्न 5. नारायणपंडित रचित व्याघ्रपथिककथा पाठ का मूल उद्देश्य क्या है?
उत्तर- व्याघ्रपथिककथा का मूल उद्देश्य है कि हिंसक जीव अपने स्वभाव को नहीं छोड़ सकता। इस कथा के ज़रिए नारायण पंडित हमें दुष्ट की बातों पर लोभ में आकर विश्वास नहीं करने की शिक्षा देते हैं। हमें सोच-समझकर ही काम करना चाहिए। इस कथा का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान देना है।
प्रश्न 6. व्याघ्रपथिककथा‘ को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा, व्याघ्रपथिककथा के लेखक कौन हैं? इस पाठ से क्या शिक्षा मिलती ? पाँच वाक्यों में उत्तर दें। (2012A)
उत्तर- यह कथा नारायण पंडित द्वारा रचित हितोपदेश के नैतिक ग्रंथ के मित्रलाभ खंड से ली गई है। इस कथा में एक पथिक वृद्ध व्याघ्र द्वारा दिए गए प्रलोभन में पड़ जाता है। वृद्ध व्याघ्र हाथ में सोने की कंगन लेकर पथिक को अपनी ओर आकर्षित करता है। पथिक निर्धन होने के बावजूद व्याघ्र पर विश्वास नहीं करता है। तब व्याघ्र द्वारा सटीक तर्क दिए जाने पर पथिक संतुष्ट होकर कंगन लेना उचित समझता है। स्नान कर कंगन ग्रहण करने की बात स्वीकार कर पथिक महा कीचड़ में गिर जाता है और वृद्ध व्याघ्र द्वारा मारा जाता है। इस कथा में संदेश और शिक्षा यही है कि किनरवासी प्राणियों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए और अपनी किसी भी समस्या का समाधान उस व्यक्ति के द्वारा नजर आए तो भी उसके लोभ में नहीं फंसना चाहिए।
प्रश्न 7. व्याघ्रपथिककथा से क्या शिक्षा मिलती है? (2015A, 2015C)
अथवा, व्याघ्रपथिककथा में मूल संदेश क्या है?
उत्तर- इस कथा के माध्यम से नारायण पंडित हमें सिखाते हैं कि दुष्ट के बोलों पर भ्रमित न होकर उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए। हमें सोच-समझकर काम करना चाहिए। नरभक्षी प्राणियों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए और जब हमें कोई समस्या हो तो हमें अपनी समस्या का समाधान सोचविचार के आधार पर करना चाहिए और किसी अनजान व्यक्ति के लोभ में नहीं फँसना चाहिए। इस कथा का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी देना है।
प्रश्न 8. पथिक वृद्ध बाघ की बातों में क्यों आ गया?
उत्तर- पथिक ने सोने के कंगन के बारे में सुनकर सोचा कि यह सिर्फ भाग्य से ही मिल सकता है, लेकिन जब खतरे वाला काम हो, तो उसे नहीं करना चाहिए। फिर उसने लोभ के कारण सोचा कि धन कमाने में भी खतरा होता है। इस तरह वह लोभ से प्रभावित होकर बाघ की बातों में आ गया।
Vyaghra Pathik Katha Class 10th Solution Notes
प्रश्न 9. व्याघ्रथिककथा पाठ का पांच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- यह कथा ‘हितोपदेश’ नामक प्रसिद्ध नीति कथाग्रंथ के प्रथम भाग ‘मित्रलाभ’ से लिया गया है। इस कथा में एक लोभी व्यक्ति के अधर्मिक व्यवहार का वर्णन किया गया है। आज के समाज में छल-कपट का वातावरण है जिसमें लोग अल्प वस्तु के लालच में फंस जाते हैं जो उन्हें उनके प्राण और सम्मान से वंचित कर देता है। इस कथा में एक लोभी पथिक बाघ की चाल में फंसकर मारा जाता है।
प्रश्न 10. सात्विकदान क्या है? पठित पाठ के आधार पर उत्तर दें। (2018A)
उत्तर- उचित स्थान, समय और व्यक्ति की देखभाल करते हुए दिया गया दान सात्विक होता है।
प्रश्न 11. वृद्धबाघ ने पथिकों को फंसाने के लिए किस तरह का भेष रचाया ?
उत्तर- वृद्ध बाघ ने यात्रियों को फंसाने के लिए एक धार्मिक के भेष में तैयार किया। वह स्नान करने के बाद कुश लेकर तालाब के किनारे जाकर यात्रियों से बात कर उन्हें सोने के कंगन के रूप में दान देने के लिए लालच दिया।
प्रश्न 12. वृद्धबाघ पथिक को पकड़ने में कैसे सफल हुआ था?
अथवा, बाघ ने पथिक को पकड़ने के लिए क्या चाल चली?
उत्तर- वृद्धबाघ ने एक धार्मिक का भेष रचकर तालाब के किनारे पथिकों को सोने का कंगन पाने का लालच दिया। जब एक लोभी पथिक उसकी बातों में आ गया तो बाघ ने उसे स्नान करने के लिए कहा। उस तालाब में अधिकाधिक कीचड़ था और जब पथिक तालाब में घुसा, तो वह बहुत अधिक कीचड़ में धंस गया। विश्वास कर जब उसे बाघ के चाल में फंसाया गया, तो बाघ ने उसे पकड़ लिया और मारकर खा गया।
Vyaghra Pathik Katha Class 10th Solution Notes
11. व्याघ्रपथिककथा (बाघ और पथिक की कहानी) Objective Questions
प्रश्न 1. ‘इदं सुवर्ण कंकणं गृहताम्‘ किसने कहा ?
(A) पथिक
(B) कथाकार
(C) बाघ
(D) दानी
उत्तर- (C) बाघ
प्रश्न 2. ‘व्याघ्रपथिक कथा‘ पाठ में किसके दुष्परिणाम का वर्णन किया गया है ?
(A) क्रोध
(B) लोभ
(C) मोह
(D) काम
उत्तर- (B) लोभ
प्रश्न 3. ‘दरिद्रान्भर कौन्तेय! मा ……. नीरुजस्य किमौषधेः‘ पद्य किस पाठ से संकलित है ?
(A) अरण्यकाण्ड से
(B) व्याघ्रपथिक कथा से
(C) किष्किन्धा काण्ड से
(D) सुन्दर काण्ड से
उत्तर- (B) व्याघ्रपथिक कथा से
प्रश्न 4. ‘व्याघ्रपथिक कथा‘ किस ग्रंथ से लिया गया है ?
(A) पंचतंत्र
(B) हितोपदेश
(C) रामायण
(D) महाभारत
उत्तर-(B) हितोपदेश
प्रश्न 5. कौन स्नान किए हुए हाथ में कुश लिए तालाब के किनारे बोल रहा था ?
(A) व्याघ्र
(B) भालू
(C) बंदर
(D) मनुष्य
उत्तर- (A) व्याघ्र
प्रश्न 6. व्याघ्र के हाथ में क्या था ?
(A) संस्कृत पुस्तक
(B) वेद
(C) सुवर्ण कंगन
(D) गज
उत्तर- (C) सुवर्ण कंगन
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